Worship Maa Brahmacharini, the second form of Maa Durga

मां दुर्गा का दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की करें पूजा, मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार और संयम की होती है वृद्धि 

Brahmacharini

Worship Maa Brahmacharini, the second form of Maa Durga

मां दुर्गा के नौ रूपों में दूसरा स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी का है। कठोर तपस्या और ब्रह्म में लीन रहने के कारण तथा ब्रह्म अर्थात तप का आचरण करने के कारण मां का नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा। मां ब्रह्मचारिणी को ज्ञान, तपस्या और वैराग्य की देवी माना जाता है।  इनके दाहिने हाथ में जप की माला एवं बाएं हाथ में कमण्डल रहता है। देवी का यह रूप पूर्ण ज्योतिर्मय और अत्यंत भव्य है जो भक्तों  को अनंत फल देने वाला है।

नवरात्र के दूसरे दिन साधक को पूजा के समय अपना ध्यान स्वाधिष्ठान चक्र पर स्थिर करना चाहिये।  इनकी उपासना से मनुष्य में तप, त्याग, वैराग्य, सदाचार, संयम की वृद्धि होती है। जीवन के कठिन संघर्षों में भी उसका मन कर्तव्य-पथ से विचलित नहीं होता।  देवी की कृपा से सर्वत्र सिद्धि तथा विजय की प्राप्ति होती है तथा विवाह में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं।

माँ दुर्गा के ब्रह्मचारिणी स्वरूप की पूजा विधि: सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो साधक को श्वेत या पीले वस्त्र पहनने चाहिए। सर्वप्रथम मां को दूध, दही, इत्र,मधु व् शक्कर से स्नान करने के पश्चात् जल से स्नान कराएं तथा प्रसाद अर्पित करें।मां को गुड़हल के फूल बहुत पसंद हैं इसलिए गुड़हल के फूलों की माला अर्पित करें। इसके पश्चात् फूल, अक्षत, रोली, चन्दन, सुपारी,लौंग, मिश्री इत्यादि मां को अर्पित कर प्रदक्षिणा करें तथा षोडशोपचार से मां की पूजा करें।

प्रार्थना मंत्र:  दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलु।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।
जप मंत्र: माँ जगदम्बे की भक्ति पाने के लिए इसे कंठस्थ कर नवरात्रि में द्वितीय दिन इसका जाप करना चाहिए।

1.  या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
2.  ऊँ ब्रह्मचारिण्यै नम: 

इस दिन ऐसी कन्याओं का पूजन किया जाता है कि जिनका विवाह तय हो गया है लेकिन अभी शादी नहीं हुई है। इन्हें अपने घर बुलाकर पूजन के पश्चात भोजन कराकर वस्त्र, पात्र आदि भेंट किए जाते हैं। मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप ज्योर्तिमय है। ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से दूसरी शक्ति हैं जो तपश्चारिणी, अपर्णा और उमा इत्यादि अन्य नामों से भी जानी जाती  हैं। ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार मां ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। अत: इनकी पूजा उपासना से मंगल ग्रह के दुष्प्रभाव कम/ निष्क्रिय होते हैं।

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